अध्याय - 1
कम्प्यूटर की आधारभूत जानकारी
कंप्यूटर पर व्यावहारिक रूप से कार्य प्रारंभ करने से पहले यह अत्यंत आवश्यक है कि हम उसके सैद्धांतिक पक्ष के बारे में भी कुछ जानकारी प्राप्त करें, जैसे कि कंप्यूटर क्या है, उसकी विशेषताएँ क्या हैं और वह किस प्रकार कार्य करता है, आदि।
✧कंप्यूटर क्या है?
कंप्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्धारित ऑकड़ों (Input) पर दिए गए निर्देर्शी की शृंखला (Program) के अनुसार विशेषीकृत प्रक्रिया (Process) करके अपेक्षित सूचना या परिणाम (Output) प्रस्तुत करती है।
चूँकि यह एक मशीन है, इसलिए स्वतंत्र रूप से कार्य न करके विशेष रूप से दिए गए निर्देशों के अनुसार ही कार्य करती है। यह एक जटिल तकनीक पर आधारित मशीन है, जो निम्नलिखित अत्यंत सरल सिद्धांत पर कार्य करती है।
✧ कंप्यूटर की विशेषताएँ
कंप्यूटर की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ हैं:-
(1) गति (Speed)
(2) शुद्धता (Accuracy)
(3) मितव्ययिता (Economy)
(4) विश्वसनीयता (Reliability)
(5) संग्रहण एवं पुनः प्राप्ति (Storage & Retrieval)
(6) बारंबार संसाधन क्षमता (Repeated Processing Capacity)
कंप्यूटरों के प्रकार
तकनीक की दृष्टि से मुख्यतः दो प्रकार के कंप्यूटर होते हैं :-
✧ 1) एनॉलॉग कंप्यूटर -
ऐसे कंप्यूटर भौतिक परिणामों के निरंतर संसाधन के लिए बनाए जाते हैं, जो मानक परिमाप (Standard Perimeter) के आधार पर परिणाम देता है और प्रत्येक परिणाम के लिए निर्देशों में कुछ-न-कुछ परिवर्तन करना पड़ता है। इन कंप्यूटरों के प्रयोग का उदाहरण विद्युत-गृहों में देखा जा सकता है, जहाँ ये तापमान, वॉल्टेज और करंट रीडिंग पर नियंत्रण रखते हैं।
2) डिजिटल कंप्यूटर -
ऐसे कंप्यूटर 0 और 1 की डिजिटल तकनीक का प्रयोग करते हैं। ये उन डिजिटल परिमाणों का संसाधन करते हैं, जिनमें विभिन्न मूल्यमान होते हैं। अधिकांश कंप्यूटर इसी पद्धति पर कार्य करते हैं। अन्य तकनीकों की तुलना में यह तकनीक तीव्र गति से शुद्ध परिणाम देती है।
कंप्यूटर के मुख्य भाग
- कंप्यूटर सिस्टम के दो मुख्य भाग होते हैं हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ।
- हार्डवेयर में कंप्यूटरों के वे समस्त पार्ट्स शामिल हैं, जो दिखाई देते हैं अथवा जिन्हें हम स्पर्श कर सकते हैं, जैसे- माउस, कॅजीपटल, इलैक्ट्रॉनिक और इलैक्ट्रिक सर्किट, मॉनिटर इत्यादि।
✧ हार्डवेयर:-
कंप्यूटर हार्डवेयर में निम्नलिखित महत्वपूर्ण Devices शामिल हैं:
(1) इनपुट उपकरण
(2) प्रोसेसिंग यूनिट
(3) आउटपुट उपकरण
(4) सेकेंडरी स्टोरेज उपकरण
✧ इनपुट उपकरण :-
ये वे उपकरण हैं, जिनके द्वारा कंप्यूटर को निर्देश दिए जाते हैं कि उसे कैसे और क्या काम करना है। इसमें निम्नलिखित उपकरण शामिल हैं:
► कुंजीपटल
▶ माउस
▶ जॉय-स्टिक
▶ स्कैनर
▶ माइक
▶ कैमरा
✧प्रोसेसिंग यूनिट :-
अर्थमेटिक-लॉजिक यूनिट (ALU) और कंट्रोल यूनिट (CU) से मिलकर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) बनती है। सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट प्रयोक्ता (User) द्वारा दिए गए निर्देशों का संसाधन करती है और अपेक्षित परिणाम प्रदर्शित करती है।
आउटपुट उपकरण: आमतौर पर प्रयोग किए जाने वाले आउटपुट उपकरण निम्नलिखित हैं:-
▶ मॉनिटर
▶ प्रिंटर
▶ स्पीकर
✧ सेकेंडरी स्टोरेज :-
उपकरण फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, कांपैक्ट डिस्क और पेन ड्राइव इत्यादि सेकेंडरी स्टोरेज उपकरणों की श्रेणी में आते हैं।
✧ सॉफ्टवेयर :-
सॉफ्टवेयर निर्देशों की वह शृंखला है, जो हार्डवेयर को एक निर्धारित क्रम में विशेष कार्य करने के लिए सक्रिय करती है।
क्या कार्य किया जाना है, कब किया जाना है और कैसे किया जाना है, इसके लिए कंप्यूटर को निर्देशों की आवश्यकता होती है। इन निर्देशों को प्रोग्राम भी कहा जाता है। सॉफ्टवेयर की अनुपस्थिति में हार्डवेयर कोई कार्य करने में सक्षम नहीं है।
सॉफ्टवेयर के प्रकार
सॉफ्टवेयर मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:-
✧ 1) सिस्टम सॉफ्टवेयर :-
सिस्टम सॉफ्टवेयर अथवा ऑपरेटिंग सिस्टम यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को सक्रिय करता है तथा कंप्यूटर के समस्त संसाधनों का प्रबंधन एवं नियंत्रण करता है। सभी ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे DOS, Windows, Linux, Unix आदि इसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न प्रोग्राम तथा हार्डवेयर के बीच अंतरक्रियाओं को नियमबद्ध करते हैं। इसकी तुलना चौराहे पर तैनात "यातायात पुलिस के सिपाही से की जा सकती है, जो सभी दिशाओं से आने वाले वाहनों को नियमानुसार चलने की अनुमति प्रदान करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से ही प्रयोक्ता और कंप्यूटर के बीच संबंध बनता है।
✧ 2) एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर :-
कंप्यूटर प्रयोक्ता इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से करता है। एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर सामान्य कार्य-प्रक्रिया संबंधी टूल से युक्त ऐसे प्रोग्राम के समूह होते हैं, जो विशेष प्रकार के कार्यों को संपन्न करते हैं। Microsoft Word, Word Star, FoxPro आदि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के उदाहरण है।
इसके अतिरिक्त, प्रयोक्ताओं की विशेष मॉग और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कस्टम एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर भी बनाए जाते हैं, जिन्हें आपने बैंकों, रेलवे टिकट बुकिंग काउंटर आदि पर कार्यरत देखा होगा।
✧ 3) लैंग्वेज :-
हम जानते हैं कि कंप्यूटर 'Binary Code' में लिखे गए अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है, परंतु इस कोड में लिखे गए अनुदेशों को पढ़ना एक जटिल प्रक्रिया है। लैंग्वेज इसी जटिल प्रक्रिया को
मशीनी कोड में बदलने वाले प्रोग्राम का समूह है। बेसिक, पास्कल आदि सॉफ्टवेयर इसी श्रेणी में आते हैं।
✧ 4) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर :-
अन्य सॉफ्टवेयरों की गुणवत्ता मापने, वायरस को हटाने, खोये हुए दस्तावेजर्जी को ढूँढ़ने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले सॉफ्टवेयर को यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के नाम से जाना जाता है। एंटी वायरस, पी.सी.टूल्स आदि सॉफ्टवेयर इसी श्रेणी में आते हैं।
✧ कंप्यूटर इकाई :-
कंप्यूटर में डाटा इनपुट करने पर वह मेमरी में जगह घेरता है, जिसे मापने के लिए प्रयोग की जाने वाली सबसे छोटी इकाई बिट कहलाती है। Binary Number System में इसके दो ही मान (0 अथवा 1) हो सकते हैं।
1 बिट 🠆 सबसे छोटी इकाई (b)
4 बिट 🠆 1 निब्बल (n)
8 बिट 🠆 1 बाइट (B)
1 बाइट 🠆 1 अक्षर अथवा अंक (जैसे A अथवा 9)
(नोट: दो अक्षरों के बीच में रिक्त स्थान भी एक इकाई के बराबर स्थान घेरता है)
1024 बाइट 🠆 1 किलोबाइट (KB)
1 मेगाबाइट (MB) 🠆 1024 किलोबाइट
1024 मेगाबाइट 🠆 1 गीगाबाइट (GB)
1024 गीगाबाइट 🠆 1 टेराबाइट (TB)
1024 टेराबाइट 🠆 1 पेटाबाइट (PB)
1024 पेटाबाइट 🠆 1 एक्साबाइट (EB)
1024 एक्साबाइट 🠆 1 जेटाबाइट (ZB)
1024 जेटाबाइट 🠆 1 योट्टाबाइट (VB)
✧ माउस :-
यदि आप Windows ऑपरेटिंग सिस्टम में काम कर रहे हैं तो आपको एक इनपुट उपकरण माउस का इस्तेमाल करना पड़ता है। माउस को जब हिलाया जाता है तो एक तीर के चिह्न वाला संकेतक, जिसे प्वाइंटर कहा जाता है, मॉनीटर स्क्रीन पर हिलता है। माउस में सामान्यतः दो अथवा तीन बटन होते हैं। जब हम किसी आइकॉन अथवा किसी स्थान पर क्लिक करने के लिए कहते हैं तो इसका अर्थ होता है, माउस के प्वाइंटर को उस स्थान पर ले जाकर बायाँ (Left) बटन दबाना। डेस्कटॉप के आइकॉन को खोलने के लिए माउस के बाएँ बटन को दो बार क्लिक करने की आवश्यकता होती है। यदि माउस का दायाँ (Right) बटन दबाया जाता है तो एक विशेष मेन्यू प्रदर्शित होता है, जिसे शॉर्टकट मेन्यू कहा जाता है। माउस के संदर्भ में ड्रैग एंड ड्रॉप शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। जब आप किसी फाइल अथवा फोल्डर पर माउस प्वाइंटर के बाएँ बटन को दबाए रखते हुए दूसरे स्थान पर खींचकर ले जाते हैं तो उस अवस्था को ड्रैग करना कहते हैं और जब उचित स्थान पर पहुँचकर माउस के उक्त बाएँ बटन को छोड़ दिया जाता है तो यह क्रिया ड्रॉप कहलाती है। यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है, जैसे किसी वस्तु को एक स्थान से खीचकर अन्यत्र छोड़ देना।