अध्याय - 04 हिंदी में यूनिकोड फोंट
हिंदी में यूनिकोड फोंट
साधारण शब्दों में “एक ही रूप और आकार वाले अक्षर समूह" को फॉट कहा जाता है, जो फोट एडिटर के सहयोग से कंप्यूटर स्क्रीन के लिए विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं। फॉट के संदर्भ में 'रूप और आकार' का तात्पर्य 'ग्लिफ' से है।
ग्लिफ अर्थात् विशेष प्रकार के ढांचों की एक शृंखला। कंप्यूटर पर मानवीय भाषा को एनकोड करने और उसे संग्रहित करने के लिए सबसे पहले भाषा के अक्षरों, अंकों और व्याकरणिक चिह्न ग्लिफ के रूप में गढ़े जाते हैं। इन ग्लिफों को गढ़ते समय अक्षरों, अंकों और व्याकरणिक चिह्नों के पारंपरिक स्वरुप, वर्तमान स्वरुप एवं टंकित स्वरूपों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है ताकि उनमें भिन्नता न आने पाए। ग्लिफ के रूप में अक्षरों को गढ़ लिए जाने के बाद उसके प्रत्येक कैरेक्टर को ऑस्की कोडिंग प्रणाली के माध्यम से मशीनी भाषा में परिवर्तित किया जाता है ताकि उसे कंप्यूटर द्वारा पढ़ा जा सके। ऑस्की कोडिंग प्रणाली के माध्यम से अंग्रेजी भाषा की एनकोडिंग के लिए रोमन लिपि का अंक-सेट पहली बार वर्ष 1950 में तैयार किया गया था।
प्रारंभ में ऑस्की कोडिंग प्रणाली में कुल 128 अंक-सेट थे, जो 7 बिट आधारित अंक-सेट थे। इस अंक-सेट में रोमन लिपि के 26 अक्षरों के दोनों स्वरुप (Lower Case & Upper Case), 0 से 9 तक के अंक एवं अंग्रेजी भाषा में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख व्याकरणिक चिह्न शामिल थे। इसके बाद इसमें 128 अंक-सेट और शामिल किया गया, जो 8 बिट आधारित अंक सेट थे। इस अंक सेट में लातिनी परिवार की अन्य लिपियों के अक्षरों को शामिल किए गए। इस प्रकार ऑस्की कोडिंग प्रणाली के माध्यम से तैयार किए गए 256 अंक-सेट कुँजीपटल की मूल 30 कुँजियों (तीन-तीन के समूह में बाईं ओर के दस समूह) पर यथावत् मौजूद हैं।
वस्तुतः अंग्रेजी के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में एनकोडिंग करने पर कंप्यूटर रोमन और लातिनी परिवार की लिपियों के लिए तैयार किए गए ग्लिफ का ही प्रयोग करता था, जिसे विशेष प्रकार के ड्राइवर की सहायता से वांछित भाषा की लिपि का स्वरूप दिया जाता था। इस प्रकार भाषा विशेष में एनकोडिंग के लिए फॉट ड्राइवर की अवश्यकता पड़ती थी। विभिन्न फॉट ड्राइवर के निर्माताओं द्वारा अलग-अलग प्रकार के फोट पॉजिशनिंग तालिकाओं का प्रयोग किया जाता था, जिसके कारण एक फॉट में तैयार दस्तावेज को दूसरे फॉट के माध्यम से पढ़ना असंभव हो जाता था।
कालांतर में वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, भाषाविदों व कंप्यूटर प्रयोक्ताओं ने वैश्विक स्तर पर एक ऐसी एनकोडिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस की, जो विश्व की सभी लिखित भाषाओं की लिपियों की एनकोडिंग कर सके। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए अमरीका में “यूनिवर्सल एनकोडिंग कंसोर्टियम" की स्थापना की गई। कंसोर्टियम ने 8 बिट की कोडिंग प्रणाली ( यूटीएफ - 8 ) 16 बिट की कोडिंग प्रणाली ( यूटीएफ-16 ) तथा 32 बिट की कोडिंग प्रणाली (यूटीएफ-32) बनाई, जिसमें प्रत्येक कैरेक्टर के लिए एक विशेष नंबर का प्रयोग किया गया। इस कोडिंग प्रणाली के माध्यम से विश्व की लगभग सभी लिखित भाषाओं के 65,536 वर्णों के लिए कोड निर्धारित किए गए। इसी कोड को (यूनिवर्सल से यूनि और एनकोडिंग से 'कोड' शब्दांश ग्रहण कर ) यूनिकोड नाम दिया गया है। यूनिकोड के नवीनतम वर्जन ( Version 6.0.0 ) में 2088 नए कैरेक्टर शामिल किए गए हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि अरबी-फारसी की लिपियों को छोड़कर भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भाषाओं की 10 लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से ही विकसित हुई हैं और इन सब की ध्वन्यात्मक संरचना लगभग समान है। इन लिपियों की इसी विशेषता को आधार बनाकर एवं देवनागरी लिपि को 'मानक लिपि' मानते हुए शेष लिपियों के लिए समान 'वर्ण सेट' बनाए गए। यह प्रणाली 'मानक सेट' के रूप में उभरकर सामने आई। यूनिकोड भारतीय लिपियों की एनकोडिंग के लिए इसी 'इस्की 88' एनकोडिंग प्रणाली का उपयोग करता है। वर्तमान प्रचलित फॉट्स
(1) ट्रू टाइप फोंट्स (True Type Fonts ) -
यह सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध अत्यंत लोकप्रिय फॉट है, किंतु इस फॉट की सहायता से एक एप्लिकेशन में तैयार दस्तावेज किसी अन्य एप्लिकेशन के लिए अपठनीय होते हैं। सामग्री जंक कैरेक्टर के रूप में दिखाई देती है, जिसे पढ़ने के लिए उसी फोट की आवश्यकता पड़ती है।
(2) ओपन टाइप फॉंट (Open Type Fonts ) -
यह एडॉब एवं माइक्रोसॉफ्ट द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया डिजिटल एवं स्मार्ट फॉट सिस्टम है, जो यूनिकोड समर्थित सभी प्रकार की एप्लिकेशन के लिए उपयुक्त है। इस श्रेणी के फॉट ब्राह्मी और सेमेटिक जैसी लिपियों के लिए भी उन्नत किस्म की टाइपोग्राफी सुविधा उपलब्ध कराते हैं। ओपन टाइप फॉट को ही 'यूनिकोड फोंट' के रूप में जाना जाता है। प्रमुख यूनिकोड फॉट इस प्रकार हैं- Mangal (Default), Aprajita, Arial Unicode MS, Kokila, DV-Amit-OTF, DV-Khushi-OTF, DV-Kriti-OTF, एवं Utsaah.